Chaitra Navratri kab shuru hogi: चैत्र नवरात्री हर साल चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इसी दिन से हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है। यह त्यौहार 9 दिनों तक मनाया जाता है, जिसके तहत मा दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इन 9 दिनों तक भक्त, माता की पूजा अर्चना करते है और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए व्रत भी रखते है।
चैत्र नवरात्रि या चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाने वाला एप प्रमुख त्योहार है। यह नवरात्रि का एक प्रकार है जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के आठ दिनों तक चलता है।
गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है
Contents
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाता है। चैत्र नवरात्रि में इस बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। नवरात्रि के पहले ही दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। इस साल की घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है। चैत्र नवरात्रि में ने साल की आरंभ होता है। इसे ने संकल्प लेने और अपने जीवन में नए उद्देश्य तय करने का भी अवसर माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि का मनाना उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है, लेकिन यह पर्व पूरे भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इसके माध्यम से लोग आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से समृद्धि और खुशियों की कामना करते हैं। चैत्र नवरात्रि का समय आध्यात्मिक शुद्धि, साधना और पूर्णता के लिए माना जाता है। इसके दौरान लोग उपवास, प्रार्थना और ध्यान करके मां दुर्गा के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं। मुख्यमंत्री राजश्री योजना में कैसे अप्लाई करें
कलश स्थापना की तारीख | 9 अप्रैल 2024 |
अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 12:04 से 12:54 बजे तक |
अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग | सुबह 7:32 से शाम 5:06 बजे तक |
चैत्र नवरात्रि का समय मां दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए समर्पित होता है। लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और मां दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि उत्सव के दौरान समाज में एकता, सामूहिक पूजा और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान लोग अपने कर्मों का पुनर्मूल्यांकन करते हैं और उन्हें नई शुरुआत के लिए तैयार करते हैं।
नवरात्री पूजा में नारियल और सुपारी का महत्व
नारियल और सुपारी नवरात्रि पूजा में शामिल करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नारियल को मां दुर्गा की अर्चना में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की पूजा में नारियल और सुपारी रखने से घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं होती है। नवरात्रि में सुपारी को पूजा में रखने से कही तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। इससे धन की कमी नहीं होती है। सुपारी को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि पूजा में एकाक्षी नारियल का उपयोग करना शुभ माना जाता है। यहां एकाक्षी नारियल एक छिद्र वाला होता है और इसे श्रीफल भी कह जाता है। राजस्थान लखपति दीदी योजना क्या है
चैत्र नवरात्रि की तिथियां
9 अप्रैल | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना |
10 अप्रैल | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा |
11 अप्रैल | तृतीया | मां चंद्रघंटा की पूजा |
12 अप्रैल | चतुर्थी | मां कुष्मांडा की पूजा |
13 अप्रैल | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
14 अप्रैल | षष्ठी | मां कात्यायनी की पूजा |
15 अप्रैल | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
16 अप्रैल | अष्टमी | मां महागौरी की पूजा |
17 अप्रैल | नवमी | मां सिद्धिरात्रि की पूजा और रामनवमी |
मां शैलपुत्री – नवरात्रि के शुरुआत के दिन यानी पहले ही दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। शैलपुत्री देवी को नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप में पूजा जाता है। जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री है।
मां ब्रह्मचारिणी – चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। वह नवदुर्गा की दूसरी स्वरूपिणी है, जिन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। जो तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। वे ब्रह्मचर्य में निरंतर जीवन व्यतीत करती है और तपस्या करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहती है।
मां चंद्रघंटा – चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। वह नवदुर्गा की तीसरी स्वरूपिणी है, जिन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। चंद्रघंटा देवी कहा नाम उनके चांद जैसे मुख के कारण पड़ा है। वे माता पार्वती के रूप में पूजी जाती है।
मां कुष्मांडा – चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की चौथी स्वरूपिणी है। मां कुष्मांडा का नाम “कुष्माण्डा” के रूप में है, जिसका अर्थ है “आम के रूप में शान्त”
मां स्कंदमाता – चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की पांचवीं स्वरूपिणी है। मां स्कंदमाता का नाम उनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) के माता होने के कारण पड़ा है।
मां कात्यायनी – चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की छठी स्वरूपिणी है। मां कात्यायनी का नाम उनके प्रसिद्ध भक्त महर्षि कात्यायन के पुत्र होने के कारण पड़ा है।
मां कालरात्रि – चैत्र नवरात्रि में सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की सातवीं स्वरूपिणी है। मां कालरात्रि का नाम “कालरात्रि” के रूप में है, जिसका अर्थ होता है “काले रात की माता।
मां महागौरी – चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की आठवीं स्वरूपिणी है। मां महागौरी का नाम “महागौरी” के रूप में है जिसका अर्थ होता है “अत्यंत उज्जवल और शुद्ध”।
मां सिद्धिदात्री – चैत्र नवरात्रि में नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। वे नवदुर्गा की नौवीं और अंतिम स्वरूपिणी है। मां सिद्धिदात्री का नाम “सिद्धिदात्री” के रूप में है जिसका अर्थ होता है “सिद्धियों की दात्री” या सिद्धियों का दाता”।
निम्नलिखित विधि का पालन चैत्र नवरात्रि की पूजा करते समय किया जाता है:
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और उसे धार्मिक चिन्हों और फूलों से सजाएं।
- कलश को धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार स्थापित करें। कलश में जल और सुपारी, नारियल,बील पत्र, गुड़, सिक्का, चांदन, कुमकुम, अक्षता, गंध, और फूल डालें।
- पूजा के बाद मां को पुष्प,फल, चना, गुड़ की पूड़ी, और पानी द्वारा अर्पित किया जाता है। प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है।
- पूजा के साथ मां कि आरती गाई जाती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
पूरे साल में चार नवरात्रि आती है जिसमें आश्विन और चैत्र माह की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। कहां जाता है की सतयुग में सबसे ज्यादा प्रचलित और प्रसिद्ध चैत्र नवरात्रि थी। इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ चैत्र नवरात्रि से ही होती है।
हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना क्या है
इस वर्ष अश्व पर आएगी और हाथी पर जाएंगी मां
मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। इसलिए मां दुर्गा को शेरावाली भी कहा जाता है। लेकिन इस साल चैत्र नवरात्रि में माता का वाहन घोड़ा होगा। घोड़े को मां दुर्गा का शुभ वाहन नहीं माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती है माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती है। माता रानी इस बार अश्व पर सवार होकर आने से शास्त्रों के अनुसार शासकों में हठधर्मिता का प्रभाव रहेगा। वहीं हाथी पर प्रस्थान करने को अच्छी बरसात के साथ अच्छी फैसल की पैदावार होने का संकेत माना जाता है।
FAQ
चैत्र नवरात्रि का दूसरा नाम क्या है?
इस चैत्र नवरात्रि का दूसरा नाम वसंत नवरात्रि है।
हिंदू चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं?
यह चैत्र नवरात्रि मानना हमारे हिंदू धर्म की प्राचीन संस्कृति में महत्वपूर्ण है। इसी हम मां शक्ति की आराधना के लिए मानते है। इसमें हम व्रत, पूजा, अनुष्ठान आदि द्वारा मां से सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते है।
मां दुर्गा किसकी बेटी थी?
पौराणिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा को पर्वत राजा हिमवान और रानी मैनावती की पुत्री माना गया है। इन्हे शक्ति स्वरूपा भी माना जाता है और आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है।